Aisa to nahin ki un se mohabbat nahin rahi........
कहता है कौन की उन से मुहब्बत नहीं रही
मुहब्बत तो रही, लेकिन साथ जीने की ताकत नहीं रही
वो देखें इस जहाँ को जीस नज़र से
हमारी चाह तो रही, लेकिन बस वो नज़र नहीं रही
दुनीया के डर ने था रखा जो साथ साथ हमें
उस डर की अब डरावत नहीं रही
कहता है कौन की उनसे मुहब्बत नहीं रही
मुहब्बत तो रही, लेकीन संग जीने की हीमाकत नहीं रही
चाह तो बहुत की जी ले उन के संग
लेकीन संग रह के जाना की जीने की ही चाहत नहीं रही
सोचा यूं भी की, भूला के देखें ख़ुद को
लेकीन ख़ुद को भूला के फीर न वो रहे न मैं ही रही
कहता है कौन की उनसे मुहब्बत नहीं रही
मुहब्बत तो रही लेकीन उस मुहब्बत की ही फीर चाहत नहीं रही...
© Vim
On HIS birthday - 2008
1 Signature:
mohabbat to hai mere dost....
saath to milte bicharte rahenge....
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