Shadows of Life

"Welcome to my personal space. Please read, enjoy and don't forget to comment - Life is too short to wake up with regrets."

Barsaat....

14:34 Posted by Shadows of life

बरसात में भीगे मेरे आंसू
तुम को छू रहे हैं
छू के कह रहे हैं
कहो एक बार फीर से 'जान' मुझे
पुकारो ले के मेरे नाम से जुड़ा
तुम्हरा नाम मुझे

भीगे इन आंसुयों से जुड़ी ज़िंदगी
लगने लगी है हर दीन कुछ और कम
आंसू चले थे बस कुछ देर साथ देने को
अब वो लगने लगे है हमदम

छू लो इन आंसुयों को और कहो
फीर से एक बार
तुम ही हो यह
बस तुम ही
न है यह अन्दर का छीपा तुम्हरा गम
न है छीपा राक्षस यह
न ही कोई तड़पता बचपन...

गर यह ही है सच तो आओ,
कहो एक बार 'जान' मुझे
इन अन्सूयो को करो जुदा
इस बारिश से
रहने दो बारीश को बस बरसात
और अन्सूयो को सिर्फ हँसी मेरी


© Vim

2 Signature:

Vrun said...

बहुत उमदा किवता िलिख हे आपने.
वाकई िदल को सोचने पर मजबुर कर िदया.
कयु हम अोरो को अपने आप से जयादा एहिमयत देते हे?
शायद अादत हो छुकी हे इनसान को इसकी..

Shadows of life said...

अंधेरो को एहमियत देने की आदत पड़ी है कुछ यूं,
की लगने लगा है अब अंधेरो के बाहर जिंदगी नहीं

Vim